हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह के परिवार की उपेक्षा किया तो बिगड़ सकता है राजनीतिक समीकरण।

द मीडिया टाइम्स डेस्क…
हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह के परिवार की उपेक्षा किया तो बिगड़ सकता है राजनीतिक समीकरण।

हिमाचल प्रदेश में सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार बनते ही कैबिनेट मंत्रियों को विभिन्न पद देने की कवायद तेज हो गई है।लेकिन इन सभी अटकलों के बीच वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह के कैबिनेट में मंत्री बनाए जाने की चर्चा से हिमाचल की राजनीति इन दिनों गर्म हो रही है।
प्रतिभा सिंह के मुख्यमंत्री नही बनाए जाने के बाद डिप्टी सीएम के पद पर अग्निहोत्री का आना इस बात का संकेत है की हिमाचल प्रदेश की राजनीति में वीरभद्र सिंह के परिवार को उपेक्षित कर राजनीति को सुचारू रूप से चलाना संभव नहीं।  यही वजह है की वीरभद्र सिंह के बेटे और पत्नी को सोनिया गांधी ने दिल्ली आने का निमंत्रण दिया।
हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक समीकरण को बनाने और  बिगाड़ने में वीरभद्र सिंह के परिवार की रणनीति एक अहम हैसियत रखती है।
इस तमाम परिकरण पर जब विक्रमादित्य सिंह से मीडिया ने सवाल किया तो उन्होंने साफ तौर पर यह अस्पष्ट किया की मीडिया में यह बात की मुझे कैबिनेट मंत्री बनाया जा रहा है,चर्चा का विषय बिलकुल है लेकिन इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय पार्टी के हाई कमान का होगा।
आपको बताते चलें की की विक्रमादित्य  ग्रामीण हिमाचल से दो बार विधायक के पद पर चुनाव जीत चुके हैं,अब देखना यह है की कैबिनेट मंत्री के बनाए जाने में वीरभद्र सिंह के पारिवारिक रणनीति किस कदर अपना प्रभाव जमती है।
जब इस बाबत हिमाचल के  मुख्य मंत्री से सवाल किया गया तो उनका जवाब था पार्टी में आपसी विचार विर्मश के बाद जो हाई कमान फैसला लेगी वही सर्वमान्य। होगा।

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