नारी सशक्तीकरण की झांकी को तरजीह दी जायेगी। बताया जा रहा है कि कर्तव्य पथ पर होने वाले आधिकारिक समारोह में शामिल होने वाली टुकड़ियों व बैंड दस्तों में शामिल सभी प्रतिभागी महिलाएं हो सकती हैं। अगले साल होने वाली परेड की योजना के बाबत रक्षा मंत्रालय ने तीनों सेनाओं, विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को कार्यालयी ज्ञापन भेजा था। उस ज्ञापन में इस तरह की योजना का विस्तृत जिक्र किया गया था। उल्लेखनीय है कि फरवरी में रक्षा सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह तय किया गया था कि अगले साल गणतंत्र दिवस के मौके पर कर्तव्य पथ पर होने वाली परेड में शामिल मार्चिंग टुकड़ियों, बैंड तथा झांकियों में केवल महिला प्रतिभागी होंगी। यह सुखद ही है कि बीते सालों में गणतंत्र दिवस पर दिखायी जाने वाली झांकियों में महिला प्रतिभागियों की उपस्थिति में अपेक्षित सुधार देखा गया है। जिसमें महिला अधिकारी सेना व सुरक्षा बलों की टुकड़ियों का बखूबी नेतृत्व करती नजर आई हैं। निस्संदेह, यह प्रयास देश में आधी दुनिया को पूरे हक देने की दिशा में सार्थक पहल ही कही जा सकती है। विश्वास किया जाना चाहिए कि सरकार का हालिया निर्णय इस स्थिति को अधिक सम्मानजनक बनाने में सहायक ही साबित होगा।
ऐसे वक्त में जब भारतीय महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के नये आयाम स्थापित कर रही हैं, उन्हें गरिमा के साथ उनका जायज हक दिया जाना भी उतना ही जरूरी है। हाल के दिनों में रक्षा सेनाओं में उनकी बढ़ती हिस्सेदारी लोकतंत्र में महिलाओं की सशक्त होती स्थिति को ही दर्शाती है। निस्संदेह, इस दिशा में राजनीतिक नेतृत्व की उदासीनता के चलते समय-समय पर देश के शीर्ष न्यायालय ने इस फैसले के क्रियान्वयन में रचनात्मक भूमिका का निर्वहन ही किया है। इसी क्रम में अच्छी खबर यह आयी है कि वर्ष 2024 में होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में महिलाएं बड़ी संख्या में दस्तों का नेतृत्व करेंगी। यानी कर्तव्य पथ पर नारी सशक्तीकरण की झांकी को तरजीह दी जायेगी। बताया जा रहा है कि कर्तव्य पथ पर होने वाले आधिकारिक समारोह में शामिल होने वाली टुकड़ियों व बैंड दस्तों में शामिल सभी प्रतिभागी महिलाएं हो सकती हैं.l
यह सुखद ही है कि बीते सालों में गणतंत्र दिवस पर दिखायी जाने वाली झांकियों में महिला प्रतिभागियों की उपस्थिति में अपेक्षित सुधार देखा गया है। जिसमें महिला अधिकारी सेना व सुरक्षा बलों की टुकड़ियों का बखूबी नेतृत्व करती नजर आई हैं। निस्संदेह, यह प्रयास देश में आधी दुनिया को पूरे हक देने की दिशा में सार्थक पहल ही कही जा सकती है। विश्वास किया जाना चाहिए कि सरकार का हालिया निर्णय इस स्थिति को अधिक सम्मानजनक बनाने में सहायक ही साबित होगा।