द मीडिया टाइम्स डेस्क
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है जिसमें एक निजी कॉलेज द्वारा हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को सही ठहराया गया था। एनजी आचार्य एंड डी के मराठा कॉलेज की तीन छात्राओं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि छात्र कैंपस में हिजाब, टोपी और बैज पहन सकते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने यह अंतरिम आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा कि कॉलेज का यह नियम हैरान करने वाला है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि आखिर यह क्या है,
इस तरह का नियम क्यों है?
कॉलेज ने अपने तर्क में कहा था कि हिजाब जैसे पहनावे से छात्रों का धर्म उजागर होता है, इसलिए इन पर रोक लगाई गई है। इस पर जस्टिस संजय कुमार ने सवाल किया कि क्या छात्रों के नाम से उनका धर्म पता नहीं चलता? क्या नाम की जगह नंबर से बुलाया जाए? कॉलेज की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दिवान पेश हुईं.
कोर्ट ने कॉलेज की पैरवी कर रही वकील से कहा कि आजादी के इतने सालों बाद इस तरह के नियम बनाने वाले संस्थानों का होना दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या उन्हें धर्म के बारे में अचानक पता चला है? कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि चेहरे को ढकने वाले नकाब की इजाजत नहीं दी जा सकती।चोंच मार देता है। ऐसा ही बुधवार के दिन हुआ। जब पड़ोस में रहने वाला इरशाद गली से गुजर रहा था। तभी उसने चोंच मार दी। इसकी शिकायत जब बकरीदी से की तो वह बहस करने लगा। जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच लाठी और डंडे चलने लगे।