महाकुंभ एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जो हिंदू धर्म के सबसे बड़े आयोजनों में से एक हैl

द मीडिया टाइम्स डेस्क 

महाकुंभ एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जो हिंदू धर्म के सबसे बड़े आयोजनों में से एक है। यह आयोजन 12 वर्षों के अंतराल पर भारत के चार प्रमुख स्थानों – हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद), उज्जैन, और नासिक – में आयोजित होता है।

महाकुंभ का मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिक शुद्धि, धार्मिक अनुष्ठान, और मोक्ष प्राप्ति है। यह माना जाता है कि महाकुंभ में स्नान करने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होता है।

महाकुंभ का उल्लेख पौराणिक कथा समुद्र मंथन से जुड़ा हुआ है। जब देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया, तब अमृत कलश से कुछ बूंदें चार स्थानों – हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन, और नासिक – पर गिरीं। इन स्थानों को पवित्र माना गया और यहीं महाकुंभ का आयोजन किया जाता है

प्रयागराज (त्रिवेणी संगम): गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर।हरिद्वार: गंगा नदी के किनारे।उज्जैन: क्षिप्रा नदी के तट पर।नासिक: गोदावरी नदी के किनारे।

स्नान का महत्व: कुंभ मेले के दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है।अखाड़े: साधु-संतों और विभिन्न अखाड़ों का अद्भुत प्रदर्शन।धार्मिक प्रवचन: धार्मिक गुरुओं और संतों के प्रवचन और उपदेश।संस्कृतिक प्रदर्शन: विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक और पारंपरिक गतिविधियां।

महाकुंभ न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक एकता और धार्मिक विविधता का प्रतीक भी है।

प्रयागराज में पूरे 12 वर्षों बाद महाकुंभ लग रहा है, जिसका शुभारंभ 13 जनवरी से होगा। ऐसे में यहां जान लीजिए कि महाकुंभ मनाने के पीछे की पौराणिक कथा और महत्व क्या है।

कहते हैं कि जो भी व्यक्ति कुंभ स्नान कर लेता है उसके सभी पाप मिट जाते हैं। इतना ही नहीं उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। महाकुंभ दौरान विशेष पूजा-अर्चना, यज्ञ, और अन्य धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी 2025, पौष पूर्णिमा से महाकुंभ शुरू हो रहा है।

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