द मीडिया टाइम्स डेस्क
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए अगले महीने एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, 10 से 20 फरवरी के बीच पार्टी को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है, जो मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा की जगह लेंगे। दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद नए अध्यक्ष के लिए चुनाव होने की संभावना है।
भाजपा का संविधान क्या कहता है?
भाजपा के संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से पहले कम से कम आधे राज्य इकाइयों में संगठनात्मक चुनाव पूरे होने चाहिए। फिलहाल भाजपा अपने संगठनात्मक चुनावों को अंतिम रूप दे रही है। यह चुनाव पार्टी के 10 करोड़ से ज्यादा सदस्यों को ध्यान में रखते हुए किए जा रहे हैं।
जेपी नड्डा का कार्यकाल
जेपी नड्डा ने फरवरी 2020 में अमित शाह की जगह पार्टी अध्यक्ष का पद संभाला था। हालांकि अध्यक्ष का कार्यकाल 3 साल का होता है, लेकिन 2024 लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उनका कार्यकाल 1 साल के लिए बढ़ाया गया। नड्डा के नेतृत्व में भाजपा ने हरियाणा में जीत की हैट्रिक और महाराष्ट्र में भी शानदार प्रदर्शन किया।
जातीय समीकरण का खेल
नए अध्यक्ष के चयन में जाति एक अहम भूमिका निभा सकती है। नड्डा ब्राह्मण समुदाय से आते हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ओबीसी वर्ग से हैं। ऐसे में भाजपा दलित समाज से किसी नेता को अध्यक्ष पद पर नियुक्त कर सकती है। कांग्रेस के दलित नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद भाजपा पर दलित विरोधी होने के आरोप लगे हैं।
भाजपा के संभावित दलित उम्मीदवार
अगर पार्टी दलित नेता को आगे लाना चाहती है, तो केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, पार्टी महासचिव दुष्यंत गौतम और उत्तर प्रदेश की मंत्री बेबी रानी मौर्य जैसे नाम चर्चा में हैं।
उम्र और युवा नेतृत्व का फैक्टर
भाजपा के नए अध्यक्ष के चयन में उम्र भी अहम होगी। विपक्ष के युवा नेताओं जैसे राहुल गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, और अभिषेक बनर्जी के उभरते कद को देखते हुए भाजपा एक युवा चेहरे पर दांव लगा सकती है।
दक्षिण भारत से हो सकता है नया अध्यक्ष
पार्टी दक्षिण भारत में अपना आधार मजबूत करने के लिए वहां से राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन सकती है। फिलहाल दक्षिण भारत का कोई भी नेता भाजपा के शीर्ष पदों पर नहीं है।
आरएसएस की भूमिका
नए अध्यक्ष के चयन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का प्रभाव निर्णायक होगा। पार्टी के गठन के बाद से भाजपा हमेशा अध्यक्ष का चुनाव आरएसएस की सहमति से करती आई है।
कौन हो सकता है नया चेहरा?
शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान और विनोद तावड़े जैसे नाम भी संभावित दावेदारों में शामिल हैं। आने वाले 30 दिन भाजपा के लिए काफी अहम साबित होंगे। क्या भाजपा जातीय संतुलन बनाएगी या युवा नेता को चुनेगी, यह देखना दिलचस्प होगा।