बगैर वीज़ा के बहरीन यात्रा ? यात्रा के दौरान हुई अप्रत्यासित घटना

 कुमारी रंजना मुख्य संपादक

मेरी यूरोप यात्रा… Part 2

मैंने अपनी यूरोप यात्रा के पहले भाग में अपना अनुभव साझा करते हुए यूरोप देश की तकनीकी उन्नति, संसाधन और अनुशासन की चर्चा की थी।अब मैं एक ऐसी घटना की चर्चा करने जा रही हूँ जिससे आपको यह अनुभव होगा की इंसान के साथ एक क्षण बाद क्या घटित होगा इसका जरा भी आभास हमें नहीं होता और घटनाएं घट जाती हैं। मानव अपने को उस क्षण बेहद असहाय महसूस करता है। जज्बा होना चाहिए हर हाल में परिस्थिति से जूझ कर बाहर निकल जाने की।

जब हमारी जर्मन एयर लाइंस की फ्लाईट लुफ़्थांसा मुंबई इंडिया के लिए सभी नागरिकों को जर्मनी के फेमस सिटी म्युनिख से लेकर उड़ी तो हमें पता नहीं था की हम सऊदी के एक देश बहरीन मे अनायास ही पहुँच जाएंगे। जहाज़ में हमारे एक सहयात्री जो अमेरिका से मुंबई जा रहे थे अचानक उड़ते जहाज में उनका निधन हो गया, उनसे म्युनिख एयर पोर्ट मेरी लंबी बात चित हुई थी , मैं काफी सदमे में थी आपत्काल की सूचना के साथ हमारा जहाज़ सऊदी के एक देश बहरीन मे लैंड कर गया।

अंजान देश अंजान भाषा :-

तीन घंटे एयर पोर्ट पर इंतजार करने के बाद सभी मुंबई के यात्रियों को बहरीन में उतार दिया गया। अंजान देश, अंजान भाषा किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करें अब। फिर लुफ्त हंसा एयर लाइंस के स्टाफ ने बहरीन में हमारे रुकने का इंतजाम किया। हमारे सह यात्रियों को के कई महत्वपूर्ण काम का अचानक हनन हुआ। लोग काफी परेशान हो गए। हमारा काफिला निश्चित समय पर कहीं नहीं पहुँच पाया।सभी यात्रियों को विभिन्न समय और विभिन्न जहाज के द्वारा मुंबई ले जाने की आपlधापी में डेढ़ दिन निकल गए।हाला की एयर लाइंस द्वारा खाने पीने और बेस्ट होटल की सारी सुविधा थी लेकिन समस्या थी की अगर आपके पास अगर इंडियन करेंसी अगर रुपया है तो बहरीन एयर पोर्ट पर स्वीकार नहीं किया जाएगा। डॉलर, दीनार, यूरो, और कई दूसरे देशों के करेंसी वहाँ स्वीकार किये जा रहे थे

प्रजातंत्र का रुपया इतना कमजोर ?

मन में एक प्रश्न उठा क्या इतने बड़े प्रजातंत्र का रुपया इतना कमजोर है ,जो सऊदी के एक छोटे किंतु संपन्न देश के एयर पोर्ट पर स्वीकृत नहीं है? हालांकि आप रुपया को डिनार् मे बदल कर आप कुछ भी खरीद सकते थे लेकिन उससे आपको धन की हानि होती है !मेरे इस अनुभव को साझा करने का सीधा मकसद यह है की इंसान के जीवन मे चाहे कितनी भी संपन्न ता हो अचनाक आई परिस्थिति के आगे हम सब बौने हैं! कब, कहाँ क्या घटित होगा हमें बिलकुल पता नहीं, इंसान होने की गर्वियत् के बजाय इंसान को हर हाल मे परिस्थिति के अनुसार ढलने, रचने, बसने और संभालने की क्षमता होनी चाहिए

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