हिंदुओं की प्रताड़ना बांग्लादेश का आंतरिक मामला नहीं हो सकता है

कुमारी रंजना प्रधान संपादक द मीडिया टाइम्स 

 

बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं का सोषण, दोहन और उत्पीड़न का विरोध हिंदु धर्म गुरुओं ने करना शुरू कर दिया है सनातन सांस्कृति विरासत में हिंदुओं को सभी धर्मों का आदर करना का सीख देती है और हिंदुओं को सहन करने का मार्ग दिखाती है जिसका फायदा आज बांग्ला देश भी उठाने लगा है जो विश्व पटल पर भारत की देन है. लेकिन आज बाबा बागेश्वर ने हिंदुओं से आह्वां किया है की वो भी कट्टर होने का परिचय दें.

देखा जाय तो यह किसी से छिपाने का मुद्दा नहीं है की शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद किस तरह से हिंदु अन्य अल्पसंख्यक कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं फिर यहबांग्ला देश का आंतरिक मामला कैसे हो सकता है?

अच्छा हुआ की भारत ने पिछले दिनों हिंदु समुदाय के नेता और इस्कोंन के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास के मनमाने तरीके से गिरफ्तारी पर बांग्लादेश के समक्ष अपनी आपत्ति और चिंता व्यक्त की, लेकिन इसमें संदेह है कि इतने मात्र से उसकी सेहत पर कोई असर पड़ेगा। इसके आसार इसलिए नहीं, क्योंकि भारत की चिंता के जवाब में बांग्लादेश ने चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को अपना आंतरिक मामला बता दिया। बांग्लादेश को इसकी इजाजत नहीं दी जानी चाहिए कि वह हिंदुओं के उत्पीड़न से आंखें मूंदे रहे और यदि उसके रवैये पर सवाल उठें तो वह उसे अपना आंतरिक मामला बता दे।अल्पसंख्यकों का सिलसिलेवार उत्पीड़न किसी देश का आंतरिक मामला नहीं हो सकता। यह किसी से छिपा नहीं कि बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से किस तरह हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं। उन्हें केवल आतंकित ही नहीं किया जा रहा है, बल्कि उनके धार्मिक स्थलों, व्यावसायिक ठिकानों पर इस इरादे से हमले किए जा रहे हैं कि

धार्मिक स्थलों, व्यावसायिक ठिकानों पर इस इरादे से हमले किए जा रहे हैं कि वे अपना घर-बार छोड़कर भाग जाएं। इससे भी गंभीर बात यह है कि हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वालों पर कहीं कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। उलटे उन कट्टरपंथियों और जिहादी तत्वों को पोषित किया जा रहा है, जो हिंदुओं को आतंकित कर रहे हैं।

सबसे खतरनाक बात यह है कि अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार कहे जाने वाले मोहम्मद यूनुस हिंदुओं पर अनगिनत हमलों को बांग्लादेश के खिलाफ आधारहीन दुष्प्रचार करार दे रहे हैं। यह तब है, जब कई देशों के नेता हिंदुओं पर हमले को लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। इनमें डोनाल्ड ट्रंप भी हैं।

यह एक तथ्य है कि नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने तमाम कट्टरपंथियों और यहां तक कि जिहादियों को भी जेल से रिहा किया है। उन्होंने ऐसे कई अतिवादी संगठनों को भी राहत दी है, जिन पर शेख हसीना सरकार ने प्रतिबंध लगा रखा था।

मोहम्मद यूनुस न तो जल्द चुनाव कराने में कोई दिलचस्पी दिखा रहे हैं और न यह स्पष्ट कर पा रहे हैं कि वह किसकी सरकार के मुख्य सलाहकार हैं? यह मानने के अच्छे-भले कारण हैं कि बांग्लादेशी सेना उनका इस्तेमाल अपने मुखौटे की तरह कर रही है और वह भी उसकी कठपुतली बनने को तैयार हैं। बांग्लादेश अपने बचे-खुचे सेक्युलर स्वरूप को नकार कर जिस तरह पाकिस्तान की तरह कट्टर इस्लामी देश बनता जा रहा है, वह भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय बनना चाहिए। वहां इस्लामी कट्टरता बढ़ने का मतलब है हिंदुओं के उत्पीड़न का सिलसिला तेज होना और उनके पलायन की नौबत आना। सच तो यह है कि तमाम बांग्लादेशी हिंदू भारत आने को तैयार हैं। ऐसा इसीलिए है, क्योंकि वहां के हालात उनके प्रतिकूल होते जा रहे हैं। ऐसे में भारत को बांग्लादेश पर दबाव बनाने के लिए सक्रिय होना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *