“गुनहगारों के लिए रहम नहीं”: बंगाल सरकार ने RG कर केस में फांसी की मांग की

कोलकाता: ममता बनर्जी सरकार ने RG कर रेप-मर्डर केस के दोषी संजय रॉय को मिली उम्रकैद की सजा को चुनौती देते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट में फांसी की मांग की है। संजय रॉय, जो पहले नगर निगम में स्वयंसेवी के रूप में कार्यरत थे, को ट्रायल कोर्ट ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि, अदालत ने यह कहते हुए फांसी की सजा नहीं दी कि यह “रेयरेस्ट ऑफ द रेयर” श्रेणी में नहीं आता।

आज, महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने जस्टिस देबांग्शु बसाक की अध्यक्षता वाली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के सामने अपील दाखिल की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।

ममता बनर्जी ने इस फैसले पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उनकी सरकार का काम अपराधियों को बचाना नहीं है। उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “अगर कोई राक्षस है, तो समाज कैसे इंसानियत दिखा सकता है? अगर गुनहगार छूट जाएंगे, तो वे फिर से अपराध करेंगे। यह मामला ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर’ क्यों नहीं माना गया? हमारा काम अपराधियों को बचाना नहीं, बल्कि न्याय दिलाना है।”

RG कर केस: एक झकझोर देने वाली घटना

यह मामला पिछले साल अगस्त में सुर्खियों में आया था जब एक ऑन-ड्यूटी प्रशिक्षु डॉक्टर की हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद कोलकाता में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ, जिसके बाद केस को कोलकाता पुलिस से हटाकर CBI को सौंप दिया गया।

शनिवार को कोर्ट ने संजय रॉय को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा के तहत रेप और मर्डर का दोषी करार दिया और सोमवार को उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई। फैसले के दौरान आरोपी ने खुद को फंसाए जाने की बात कही, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

“आंख के बदले आंख” वाली सजा नहीं?

172 पन्नों के फैसले में जज अनिर्बान दास ने इस अपराध को “अत्यंत जघन्य” बताया, लेकिन साथ ही कहा कि न्याय प्रणाली को “सुधारात्मक न्याय और मानव जीवन की पवित्रता” को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने लिखा, “हमारा काम बर्बरता का जवाब बर्बरता से देना नहीं, बल्कि मानवता को न्याय और करुणा के माध्यम से ऊपर उठाना है।”

हालांकि, पीड़िता के माता-पिता ने 17 लाख रुपये की मुआवजा राशि ठुकराते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ न्याय चाहिए।

बंगाल सरकार ने कड़ी कार्रवाई का किया दावा

ममता बनर्जी ने कहा कि अगर यह मामला कोलकाता पुलिस के पास रहता, तो दोषी को पहले ही फांसी की सजा मिल चुकी होती। उन्होंने कहा, “हमने तीन मामलों में 60 दिनों के अंदर फांसी की सजा दिलवाई है। अगर यह केस हमारे पास रहता, तो अब तक सजा हो चुकी होती। उम्रकैद के फैसले से मैं संतुष्ट नहीं हूं।”

शाम को उन्होंने एक ऑनलाइन पोस्ट में लिखा कि यह केस “रेयरेस्ट ऑफ द रेयर” श्रेणी में आता है और उनकी सरकार हाई कोर्ट में इसे साबित करेगी।

अब इस केस की अगली सुनवाई पर पूरे देश की नजर रहेगी, क्योंकि बंगाल सरकार न्याय के लिए अंतिम लड़ाई लड़ने को तैयार है।

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