केरल के कोट्टायम स्थित सरकारी नर्सिंग कॉलेज से एक रोंगटे खड़े कर देने वाली रैगिंग की घटना सामने आई है। इस घिनौनी घटना का एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें देखा जा सकता है कि किस तरह एक जूनियर छात्र को दर्दनाक यातनाएं दी गईं। यह घटना फिर से साबित करती है कि कड़े कानूनों के बावजूद भी रैगिंग की बर्बरता कॉलेज परिसरों में थमने का नाम नहीं ले रही।
वीडियो में देखा जा सकता है कि एक छात्र को बेड पर बांध दिया गया है। उसके हाथ और पैर चारों कोनों से कसकर बांधे गए हैं और वह दर्द से छटपटा रहा है। एक सीनियर छात्र बार-बार कम्पास की नुकीली सुई से उसके शरीर को चुभो रहा है, जिससे पीड़ित की चीखें गूंज रही हैं। उसके शरीर पर कई जगह गहरे घाव हो चुके हैं और उन पर सफेद लोशन डाला जा रहा है ताकि जलन और बढ़े। यही नहीं, उसके आंखों और मुंह में भी यह तरल पदार्थ डाला जा रहा है।
हैवानियत की हद तब पार हो गई जब पीड़ित के गुप्तांगों पर भारी डंबल रखा गया। उसके निपल्स पर कपड़े की क्लिप लगाकर उन्हें खींचा गया। पूरे वीडियो में पीड़ित दर्द से चिल्ला रहा है और वहीं खड़े सीनियर छात्र उसकी हालत पर हंस रहे हैं।
यह मामला तब सामने आया जब नर्सिंग कॉलेज के तीन पहले वर्ष के छात्रों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार, यह यातना नवंबर 2024 से लगातार तीन महीनों तक चली।
पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पांच आरोपी छात्रों को गिरफ्तार कर लिया है। इनमें सैमुअल जॉनसन (20), राहुल राज (22), जीवा (18), रिजिल जित (20) और विवेक (21) शामिल हैं। इन सभी को कॉलेज प्रशासन ने निलंबित कर दिया है।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि सीनियर छात्र हर रविवार को जूनियर्स से जबरन पैसे वसूलते थे और उनसे शराब खरीदने के लिए मजबूर करते थे। जो छात्र इनकार करते, उन्हें बेरहमी से पीटा जाता था।
इस खौफनाक घटना का खुलासा तब हुआ जब पीड़ित छात्रों में से एक यह यातना सहने में असमर्थ हो गया और उसने अपने पिता को पूरी बात बता दी। पिता ने हिम्मत दिखाते हुए बेटे को पुलिस के पास जाने के लिए प्रेरित किया।
कोट्टायम में हुई इस अमानवीय रैगिंग की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। खासकर तब जब हाल ही में कोच्चि में एक 15 वर्षीय स्कूली छात्र मिहिर अहमद ने आत्महत्या कर ली थी, जिसकी मां रजना पीएम का आरोप है कि उनके बेटे को स्कूल में रैगिंग का शिकार बनाया गया था। उसे न केवल पीटा गया और गालियां दी गईं, बल्कि जबरन टॉयलेट सीट चाटने तक के लिए मजबूर किया गया। इन अमानवीय कृत्यों ने उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया।
यह घटनाएं साफ दर्शाती हैं कि रैगिंग सिर्फ एक मजाक या परंपरा नहीं, बल्कि छात्रों के जीवन से खेलने वाली एक गंभीर सामाजिक बुराई बन चुकी है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन इसे रोकने के लिए और कड़े कदम उठाएंगे, या फिर यह वहशियाना खेल यूं ही जारी रहेगा?
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