नासिर खान – द मिडिया टाईम्स 

कपिल मिश्रा और असदुद्दीन ओवैसी के बीच हुई ताजातरीन बयानबाजी ने महाराष्ट्र के सियासी तापमान को और बढ़ा दिया है। ओवैसी की “15 मिनट” वाली टिप्पणी, जो पहले अकबरुद्दीन ओवैसी के विवादास्पद बयान से जुड़ी थी, अब एक राजनीतिक हथियार के रूप में सामने आ रही है। यह टिप्पणी हिंदू समुदाय के बीच चिंता और असुरक्षा का कारण बनी थी, और ओवैसी इसे बार-बार अपने विशेष वोटबैंक को साधने के लिए दोहराते रहे हैं।

बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने इस पर तीखा पलटवार करते हुए ओवैसी को खुली चुनौती दी। कपिल मिश्रा ने कहा, “अगर पुलिस हटा दी गई, तो 15 मिनट में ओवैसी और उसके साथी खुद राम-राम जपने लगेंगे।” उनका इशारा था कि ओवैसी की बागडोर में आने वाली प्रतिक्रिया, और “बाला साहेब की धरती” पर ऐसे बयानों की बेकाबू होने की स्थिति में, एक अलग रूप ले सकती है। मिश्रा का यह बयान “जय श्रीराम” के नारों के साथ था, जो उन्होंने महाराष्ट्र के पुणे में एक सभा में दिया।

ओवैसी ने सोलापुर में अपनी चुनावी रैली में इस विवादित “15 मिनट” बयान का जिक्र किया था, जिस पर उन्होंने एक्टिंग करते हुए कहा, “अभी कितना टाइम हुआ है… 15 मिनट।” उनका यह अंदाज कहीं न कहीं हंसी मजाक के तौर पर दिख रहा था, लेकिन मिश्रा ने इसे गंभीरता से लेते हुए ओवैसी के इरादों पर सवाल उठाए।

यह बयानबाजी राजनीतिक खेल का हिस्सा हो सकती है, जहां दोनों नेता एक-दूसरे के खिलाफ अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। मिश्रा की चुनौती में स्पष्ट रूप से हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं को उजागर करने का प्रयास है, जबकि ओवैसी की रणनीति मुस्लिम वोटबैंक को जोड़ने की है। दोनों के बयानों से यह स्पष्ट हो रहा है कि महाराष्ट्र चुनाव में धार्मिक राजनीति और पहचान की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हो सकती है

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