कुमारी रंजना प्रधान संपादक द मीडिया टाइम्स।
आज से 44 वर्ष पूर्व महाराष्ट्र के मुंबई में बीजेपी की स्थापना करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था अंधेरा छटेगा, सूर्य निकलेगा, कमल खिलेगा और 2024 में कमल कुछ इस तरह से खिला की पूरा महाराष्ट्र ही कमलमय हो गया.
आपको बताते चलें 5 दिसंबर की शाम मुंबई के आजाद मैदान में भाजपा के दिग्गज नेताओं की उपस्थिति में जिसमें देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे, महाराष्ट्र के ओजस्वी और लोकप्रिय भाजपा नेता देवेंद्र सरिता गंगाधर फडणवीस की महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के पद पर ताजपोशी हो गई.
AVBP नागपुर से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत करने वाले और ६ बार विधायक रहने वाले देवेंद्र फडणवीस ने तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर की गरिमा बढ़ाई है.
देवेंद्र फडणवीस की ताजपोशी में एक ओर जहाँ हजारों की संख्या में भगवा कमल की साड़ी धारण किये हुए बहिनी देवेंद्र फडणवीस को आशीर्वाद देने आजाद मैदान में पहुंची वहीं बालीवुड और बिजनेस जगत की तमाम बड़ी हस्तियाँ फडणवीस के राज्याभिषेक का जशन मनाने पहुँची.
1989 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हुए। 1992 में नागपुर भाजयुमो इकाई के अध्यक्ष बने। इसी साल उन्होंने नागपुर के रामनगर वार्ड से अपना पहला नगरपालिका चुनाव जीता और 21 साल की उम्र में नागपुर नगर निगम के सबसे युवा पार्षद बन गए।
महाराष्ट्र के सबसे मुखर राजनेताओं में से एक फडणवीस भ्रष्टाचार के आरोपों से बेदाग रहे हैं। सिंचाई घोटाले को लेकर बीती कांग्रेस-एनसीपी सरकार को मुश्किल में डालने का श्रेय भी इन्हीं को दिया जाता है। उनकी काबिलियत को देखते हुए उन्हें साल 2013 में महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया।
अंत भला तो सब भला। गुरुवार को देवेंद्र फडणवीस के साथ जिस तरह से एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने शपथग्रहण में एकजुटता दिखाई,उससे प्रदेश के लिए बहुत ही सकारात्मक संदेश निकला है। क्योंकि,नई सरकार के गठन में देरी होने की वजह से प्रदेश की जनता की ओर से शानदार जनादेश मिलने के बाद भी असमंज की स्थिति आशंकाओं को जन्म दे रहे थे।
देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली महायुति सरकार पिछली एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार से इस मायने में अलग है कि इस बार बीजेपी को इतनी सीटें मिली हैं कि वह हमेशा निर्णायक भूमिका में होगी। इसके बावजूद जिस तरह से शिंदे को सरकार में शामिल करने के लिए भाजपा ने धैर्य दिखाया है, उससे यह संदेश भी मिला है कि वह गठबंधन धर्म निभाना चाहती है।
अब ताजपोशी के साथ यह साफ हो गया और यह तय भी हो गया की देवेंद्र देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली महायुति सरकार पिछली एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार से इस मायने में अलग है कि इस बार बीजेपी को इतनी सीटें मिली हैं कि वह हमेशा निर्णायक भूमिका में होगी। इसके बावजूद जिस तरह से शिंदे को सरकार में शामिल करने के लिए भाजपा ने धैर्य दिखाया है, उससे यह संदेश भी मिला है कि वह गठबंधन धर्म निभाना चाहती है।, अजीत दादा पवार और एक नाथ शिंदे के दलों के मिलन के साथ साथ दिल भी मिले हुए हैं और ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है की उनके आपसी सामंजस्य ने महाराष्ट्र की जनता के सामने एक आपस का सशक्त रूप पेश किया है.
वैसे तो महाराष्ट्र में 33% मराठा हैं जिनका वर्चस्व सदा ही राजनीति में रहा है ऐसे में भाजपा का 89% की स्ट्राइक रेट से जीत हासिल करना कंही न कहीं देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली महायुति सरकार पिछली एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली सरकार से इस मायने में अलग है कि इस बार बीजेपी को इतनी सीटें मिली हैं कि वह हमेशा निर्णायक भूमिका में होगी। इसके बावजूद जिस तरह से शिंदे को सरकार में शामिल करने के लिए भाजपा ने धैर्य दिखाया है, उससे यह संदेश भी मिला है कि वह गठबंधन धर्म निभाना चाहती है।
महाराष्ट्र में मात्र 5% ब्रह्मामण समाज के एक अति लोकप्रिय छवि वाले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक बार यह एलान किया था कि मुझे हल्के में मत लेना मैं आधुनिक युग का अभिमन्यु हूँ और मुझे चकर्यव्यू भेदना आता है और देवेंद्र फडणवीस ने विधर्व में यह करके दिखला दिया.
दिल्ली में नरेंद्र और महाराष्ट्र में देवेंद्र की सरकार अब आने वाले समय में क्या गुल खिलाएगी यह तो देखने और परखने की बात होगी पर यह सच है की महाराष्ट्र में देवेंद्र का उत्थान एक बड़े नेता के रूप में हुआ है.देवेंद्र भाजपा के बड़े प्लेयर के रूप में महाराष्ट्र में उभरें हैं.महाराष्ट्र में पूर्व में बसंत राव नाइक 11 साल और 49 साल बाद देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद पर काबिज हुए हैं।
अब देखना यह है कि देवेंद्र फडणवीस के मस्तक पर मुख्यमंत्री के नाम का लगा यह तिलक अपनी छाप महाराष्ट्र के विकाश पर कितना कारगर होकर छोड़ता है और नरेंद्र और देवेंद्र का फॉर्मूला किस हद तक महाराष्ट्र मे सुपर हिट होता है।