द मिडिया टाईम्स डेस्क झारखंड
भारत की आजादी की लड़ाई का इतिहास हमें कई महत्वपूर्ण घटनाओं से परिचित कराता है, जिनमें जलियांवाला बाग हत्याकांड एक प्रमुख घटना है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि झारखंड की डोंबारी बुरू पहाड़ी पर अंग्रेजी सेना ने जलियांवाला बाग से भी बड़ा नरसंहार किया था?
9 जनवरी 1900 की तारीख को, बिरसा मुंडा के नेतृत्व में सैकड़ों मुंडा आदिवासी इस पहाड़ी पर एकत्रित हुए थे। बिरसा मुंडा ने उस समय झारखंड के एक बड़े क्षेत्र में अंग्रेजी राज के खिलाफ विद्रोह का ऐलान किया था। उन्होंने ‘अबुआ राज’ की स्थापना का संकल्प लिया, जिससे अंग्रेजी हुकूमत में हड़कंप मच गया।
अंग्रेजी सेना ने उस दिन पहाड़ी पर जुटे आदिवासियों को घेर लिया और उन पर भीषण गोलीबारी शुरू कर दी। मुंडा आदिवासियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना तीर-धनुष से उनका मुकाबला किया। यह संघर्ष केवल एक लड़ाई नहीं थी, बल्कि यह आदिवासियों की स्वतंत्रता की आकांक्षा का प्रतीक था।
गुरुवार को डोंबारी बुरू नरसंहार की 125वीं बरसी मनाई गई। इस अवसर पर सैकड़ों लोगों ने पहाड़ी पर बने शहीद स्तंभ पर शीश नवाया, यह दर्शाते हुए कि हम अपने शहीदों को कभी नहीं भूलेंगे।
इस प्रकार, डोंबारी बुरू का नरसंहार भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण लेकिन कम ज्ञात घटना है, जो हमें यह सिखाता है कि स्वतंत्रता की लड़ाई में हर एक बलिदान का महत्व है। हमें अपने इतिहास को समझना और उसे याद रखना चाहिए, ताकि हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों को सदा सम्मानित कर सकें।