द मीडिया टाइम्स डेस्क
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी एक लंबे समय से चिंता का विषय रही है। हालांकि दिल्ली सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं, फिर भी शिक्षकों की कमी एक महत्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। इस समस्या के कुछ प्रमुख कारण और पहलुओं पर चर्चा करते हैं:
1. रिक्त पदों की समस्या
कई सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के पद लंबे समय से खाली पड़े हैं। भर्ती प्रक्रियाओं में देरी और नौकरशाही कारणों से यह समस्या बढ़ती है।
2. छात्र-शिक्षक अनुपात
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या अधिक है, लेकिन शिक्षकों की संख्या सीमित है। यह छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने में बाधा उत्पन्न करता है।
3. विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी
कुछ विषयों (जैसे गणित, विज्ञान, कंप्यूटर आदि) में विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी है। इससे छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा नहीं मिल पाती।
4. नियुक्ति प्रक्रिया में देरी
दिल्ली सरकार द्वारा समय-समय पर शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं, लेकिन प्रक्रिया में लगने वाला समय और सीटों की संख्या कम होना एक बड़ी समस्या है।
5. संविदा शिक्षक और स्थायित्व की कमी
संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) पर नियुक्त शिक्षकों की संख्या अधिक है, जिन्हें स्थायित्व और उचित सुविधाएं नहीं मिलतीं। इससे उनकी कार्यक्षमता और प्रेरणा पर असर पड़ता है।
सरकार के प्रयास
दिल्ली सरकार ने शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:नए शिक्षकों की भर्ती: समय-समय पर DSSSB (दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड) के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है।
अंतरिम समाधान: गेस्ट टीचर्स की नियुक्ति की गई है, जो अस्थायी रूप से शिक्षकों की कमी को पूरा करते हैं।