विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में वर्तमान भू-राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में क्षेत्र के सामने आने वाली समग्र चुनौतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा तथा सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति चर्चाओं को प्रभावित नहीं करेगी।
एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक और सुरक्षा समूह है और सबसे बड़े अंतर-क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है। एससीओ की स्थापना 2001 में रूस, चीन, किर्गिज गणराज्य, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों द्वारा शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में की गई थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसके स्थायी सदस्य बने।
जयशंकर ने ट्वीट किया, “सीएफएम में एससीओ के महासचिव झांग मिंग के साथ सार्थक बातचीत के साथ मेरी बैठक शुरू हुई। भारत की एससीओ अध्यक्षता के लिए उनके समर्थन की सराहना करता हूं।” उन्होंने कहा, “भारतीय अध्यक्षता सुरक्षित एससीओ के लिए उसकी प्रतिबद्धता से प्रेरित है। इसके प्रमुख क्षेत्र स्टार्टअप्स, पारंपरिक चिकित्सा, युवा सशक्तिकरण, बौद्ध विरासत और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी हैं जिन पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। गोवा में एक सफल सीएफएम के लिए उत्सुकता है।”
यह बैठक एससीओ के विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) से इतर तटीय रिसॉर्ट में हुई जिसमें जयशंकर तथा मिंग ने समूह के समग्र एजेंडे पर चर्चा