दरअसल विधानसभा चुनाव में एनसीपी वर्तमान में कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों पर चुनाव लड़ेगी। अजित पवार खेमे के एक वरिष्ठ एनसीपी नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 90 विधानसभा सीटों के बारे में बयान बहुत तार्किक है। लेकिन यह भी तय हो गया है कि एनसीपी 13-15 लोकसभा सीटों पर भी चुनाव लड़ेगी। इसमें चार सीटें शामिल होंगी जिनमें एनसीपी के मौजूदा सांसद हैं और औरंगाबाद जैसी सीटें भी शामिल हैं जहां विपक्ष ने 2019 में जीत हासिल की थी।
राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि एनसीपी ने बीजेपी के साथ इस पर पहले ही समझौता कर लिया है। वहीं एक दिन पहले ही महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा था कि उनकी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे में अब एकनाथ शिंदे गुट की टेंशन अब और बढ़ने वाली है।
महाराष्ट्र में डबल डिजिट का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है। ऐसे में इस बार यह तय किया जाएगा कि हम इस बार डबल डिजिट का आंकड़ा पार करें। शिंदे गुट के पास 13 सांसद हैं। वे तय करेंगे कि कितने लोग लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। लेकिन हमने साफ कर दिया है कि हम 13-15 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
इसके अलावा कांग्रेस-एनसीपी ने नवनीत राणा का समर्थन किया, जो अमरावती से जीती थीं, लेकिन बाद में उन्होंने बीजेपी से हाथ मिलाना चुना। बीजेपी के साथ एनसीपी के समझौते से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना खेमे में तनाव और बढ़ने की संभावना है। जो पहले से ही अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के आने के बाद उन्हें दिए जाने वाले कैबिनेट विभागों की संख्या में कटौती से नाराज है।