द मीडिया टाइम्स – डेस्क
भोपाल/ लखनऊ: उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बाहरी हिस्सों में खुद को समेटने पर मजबूर बुंदेलखंड, एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से भरपूर क्षेत्र है, लेकिन यह आज भी विकास और आधारभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है। कई दशकों से बुंदेलखंड को पृथक राज्य बनाए जाने की मांग चल रही है लेकिन केंद्र व राज्य सरकारों की बेरुखी ने क्षेत्रीय निवासियों को पिछड़ेपन में जीवन व्यतीत करने का आदि बना दिया है। हालांकि समय-समय पर विकास के नए मार्ग खोलने के उद्देश्य से पृथक बुंदेलखंड की मांग जोर पकड़ती रही है, लेकिन परिणाम जस के तस बने हुए हैं, जिसे ध्यान में रखते हुए क्षेत्र के लोकप्रिय डिजिटल न्यूज़ प्लेटफार्म बुंदेलखंड 24×7 ने एक बार फिर अपने नए अभियान ‘जागो सरकार जागो’ के माध्यम से अलग राज्य की मांग को जिम्मेदार तंत्र तक पहुँचाने की मुहिम छेड़ी है। जागो सरकार जागो के माध्यम से क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक तबकों तक बुंदेलखंड को पृथक राज्य का दर्जा मिलने के पीछे प्रमुख कारणों व आवश्यकताओं के प्रति जागरूक किया जा रहा है, तथा सांसद, विधायकों से लेकर आला अफसरों तक ज्ञापन सौंपने की कवायद की जा रही है।
नए अभियान को लेकर चैनल फाउंडर अतुल मलिकराम ने कहा, “बुंदेलखंड के लोग लंबे समय से अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा और अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यहां की 80 फीसदी से अधिक आबादी का मानना है कि पृथक राज्य बनने से इस क्षेत्र के विकास को नई दिशा मिलेगी और यहां के निवासियों को उनके हक का पूरा लाभ मिलेगा। हम बुंदेलखंडवासियों की मांग को केंद्र व राज्य सरकारों तक पहुँचाने के लिए प्रयत्नशील हैं तथा उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से लेगी और वर्षों से लंबित इस मामले का हल निकालेगी।”
इससे पूर्व चैनल ने ऑनलाइन व ऑफलाइन माध्यम से पृथक बुंदेलखंड की मांग को मजबूती प्रदान करते हुए 5 लाख हस्ताक्षर अभियान का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इसके अंतर्गत लाखों की संख्या में लोगों ने अलग राज्य के लिए अपनी सहमति दर्ज की हैं। वहीं जागो सरकार जागो मुहिम के तहत, बुंदेलखंड 24×7 विभिन्न कार्यक्रमों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से जनता की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का काम कर रहा है। चैनल की मुहिम में क्षेत्रीय निवासी भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और बुंदेलखंड की आवाज़ को सत्ता के कानों तक पहुँचाने में सारथि बन रहे हैं।
चैनल द्वारा विभिन्न माध्यमों से जागरूकता बढ़ाने और सरकार तक इस मांग को पहुंचाने की प्रतिबद्धता के तहत विभिन्न कार्यक्रमों और संवाद सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।