द मीडिया टाइम्स
डेस्क: मैतेई, कुकी और मणिपुर(भारत)। भारत का, मिजोरम, नागालैण्ड, मेघालय। म्यांमार और बांग्लादेश। पूर्वोत्तर भारत। अगर यहां के बीते घटनाक्रम को देखें तो यही पता चलता है की दुनिया का, जनसंख्या के आधार पर सबसे बड़ा धर्म, ईसाई (लगभग २०० करोड़), जो यूरोप महादेश में फैला हुआ है, वो एशिया महादेश में भी अपना पहचान बनाना चाह रहा है। ईसाईयों का सबसे बड़ा देश, “अमेरिका” (अन्य ईसाई देश, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी इत्यादि के साथ मिलकर), पूर्वोत्तर भारत, म्यांमार और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों को अलग कर, एक नया देश बनाना चाहता है, ईसाई देश बनाना चाहता है। और, इस बात की पुष्टि, स्वयं, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री “शेख हसीना” ने की थी/है। अर्थात:-
बंग जंग • मानवता भंग • मुस्लिम रंग • ईसाई ढंग
दुनिया के एक मुस्लिम देश और भारत के पडोसी, बांग्लादेश में-
– एक राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री (शेख हसीना) का वहां, वहां के जनता के द्वारा विद्रोह का सामना करना, फिर अपने देश से भागकर भारत आना
– बांग्लादेश के संस्थापक और हसीना के पिता “शेख मुजीबुर रहमान” के प्रतिमा को बांग्लादेशियों के द्वारा तोड़ना
– हसीना के राजनीतिक दल (आवामी लीग) के बहुत लोगों का हत्या करना
– हिन्दू और बाकी अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करना। इत्यादि
यह बताने के लिए पर्याप्त है की, बांग्लादेश के लोग किस तरह से, बाहरी शक्तियों के शिकार हो चुके हैं और धार्मिक रूप से बर्बाद हो चुके हैं।
बांग्लादेश गृहयुद्ध में-
जिस तरह मुसलमानवाद हावी हो चुका है और दुनिया के अधिकांश मुसलमान, प्रसन्न हो रहे हैं, वह यह बताता है की मुसलमान, कितने आसानी से बहक जाते हैं। बांग्लादेश के साथ-साथ अगर पुरे संसार की बात करें तो, यहां पर प्रश्न यह भी उठता है की क्या “इस्लाम धर्म” पर हीं पाबंदी लगा देना चाहिए? क्यूंकि अगर ऐसा होता है तो, दुनिया का अधिकांश युद्ध, जड़ से समाप्त हो जाएगा।
अब आते हैं, बांग्लादेश के उस विषय पर जो वहां के प्रमुख विपक्षी दल और सैन्यबल से जुड़ा हुआ है। वर्ष, 1971(बांग्लादेश स्थापना) से देखा जाए तो, यहां पर बहुत से “तख्तापलट(चुनी हुई सरकार को हटा कर सैन्यशासन)” हुए हैं और यहां की अभी की विपक्षी दल (बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी), “जमात और कट्टर मुस्लिम सोच” पर चलती है। और, अभी के बांग्लादेशी तख्तापलट का एक तथ्य यह भी है की, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की प्रमुख और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री “खालिदा जिया” का बेटा, इस तख्तापलट का एक प्रमुख रणनीतिकार था/है, जो एक ईसाई देश “इंग्लैंड” से रणनीति बना रहा था।
कुछ तथ्य:-
1. कुकी:- ईसाई। मैतेई:- हिन्दू।
2. मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड:- ईसाई बहुसंख्यक।
3. पूर्वोत्तर भारत:- मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश, आसाम, त्रिपुरा, सिक्किम।
अंत में मैं यही विचार देना चाहुंगा की चाहे, ईसाई देश बनाना हो, या फिर, बांग्लादेश-भारत-म्यांमार के पडोसी “चीन” से अमेरिका को लड़ना हो, चाहे “मियांवाद-मियांवाद” करना हो – इन सब से कभी भी वास्तविक संतुष्टि नहीं मिलेगा। स्वयं का सम्मान करें, दुसरों का सम्मान करें और विस्तारवाद नहीं “विश्वासवाद” से जीवन जीएं।
अगर युद्ध का संभावना बनता है तो:-
“अपनों के साथ मिलकर हारना भी, दुसरों के साथ मिलकर जीतने से अच्छा है”।
यहां, हार भी जीत है और जीत भी हार