द मिडिया टाइम्स डेस्क
देश में अब एक देश एक चुनाव’ की चर्चा शुरु हो गई है। इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई थी जिसकी रिपोर्ट को अब मंजूरी मिल गई है।कोविंद समिति ने साल की शुरुआत में अपनी रिपोर्ट भी राष्ट्रपति को सौंपी थी। 191 दिनों में तैयार 18,626 पन्नों की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2029 से देश में पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं।
इसके बाद 100 दिनों के भीतर दूसरे चरण में स्थानीय निकाय के चुनाव कराए जा सकते हैं। कोविंद समिति ने यह भी कहा कि2029 से देश में पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं। इसके बाद 100 दिनों के भीतर दूसरे चरण में स्थानीय निकाय के चुनाव कराए जा सकते हैं।
भारत में एक साथ चुनाव की परंपरा
1951-52 में शुरू हुई, जब पहली बार लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ हुए। यह प्रणाली 1967 तक चली। इसके बाद चुनाव अलग-अलग होने लगे, जिनमें कई कारण शामिल थे
राजनीतिक अस्थिरता: कई राज्यों में राजनीतिक अस्थिरता के कारण सरकारें समय से पहले गिरने लगीं, जिससे चुनाव अलग-अलग कराना आवश्यक हो गया।
स्थानीय मुद्दे: विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे समय-समय पर चुनाव कराने की आवश्यकता होती है।
चुनावी प्रबंधन: अलग-अलग चुनावों से चुनाव प्रबंधन और संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होता है।
जनता की जागरूकता: विभिन्न चुनावों के दौरान जनता की भागीदारी और जागरूकता बढ़ती है, जिससे लोकतंत्र की मजबूती होती है।इन कारणों के चलते एक साथ चुनाव की परंपरा टूट गई और अब लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं।