व्यवसाय केवल निज़ी लाभ के लिए नहीं बल्कि सामाजिक उत्थान और राष्ट्र निर्माण के लिए होना चाहिए.

 

कुमारी रंजना, वरिष्ठ संपादक, द मीडिया टाइम्स.

संस्कार, करुणा, दया, विनम्रता, और सबसे उपर लोगों की भलाई जैसे चारित्रिक गुणों के अंदर जिसने अपने विशाल “टाटा अम्पायर”को अपने सहज हृदय में संजो लिया उस सख्सियत का नाम है रतन टाटा.

एक ऐसी हस्ती जिसकी अब इस दुनिया में न होने की खबर से सारे देश की आँखें नम हो जाए और शोक की लहर पूरे विश्व में फैल जाए वो रतन टाटा जैसी सख्सियत ही हो सकती है, कोई आपार धन सम्पति पर बैठा व्यवसायी या उद्योगपति नहीं.

एक ऐसा अवतार जिसने मनुष्य के साथ साथ

पशुओं के भी दर्द को महसूस किया हो, जिसने अपने उधोग के कर्मचारियों की आर्थिक जरूरते और उनके बच्चों की शिक्षा के प्रति अपनी निष्ठा और करुणा की उदारता दिखाई हो ऐसी ही सख्सियत को दुनियाँ रतन टाटा के नाम से जानती और समझती है.
टाटा उद्योग के निज़ी हिस्से से जिस सख्सियत ने 66% की धन राशि चैरिटी में लगा दिया हो उसको अलग से जानने के लिए किसी जटिल पोथी को पढ़ने की जरूरत नहीं यह तो आम लोगों की जुबानी ही काफी है, और वैसे अनेकों ऐसे फंड का योगदान, फिर वह नागपुर का कैंसर होस्पिटल हो या पशु होस्पिटल रतन टाटा के उच्च गुणों को आम लोगों के हृदय तक सहज ही पहुंचा देता है

इसके लिए अखबारों में खबर बनाने की कोई जरूरते नहीं रही, वहीं आज के राजनीतिज्ञ और हर व्यवसायी विज्ञापन का सहारा लेकर अपनी सामाजिक योगदान का परचम लहराते हैं.

करोना काल से लेकर कई डूबते हुए उद्योगों को अपनी उदार सख्सियत के अंदर समा लेने वाले रतन टाटा के चैरिटी को गिनती में गिन पाना मुश्किल ही नहीं असम्भव है।
भारतीयता को पूरी दुनिया में स्थापित करने में रतन टाटा का योगदान शब्दों में सिमट नहीं सकता, फिर वह इंडियन होटल हो या एयर इंडिया की डूबती नैया। हास्पिटलिटि का H नहीं जानने वाले लोगों को रतन टाटा की हास्पिटलिटि इंडस्ट्री से प्रेरणा लेनी चाहिए.

रतन टाटा का यह कथन ” मैं निर्णय लेता हूँ और फिर उस निर्णय को सही करता हूँ “, यह कोई साधारण वाक्य नहीं इसके गूढ़ अर्थ को समझने और अपने जीवन में आत्मसात करने की जरूरत है।

सच तो यह है की रतन टाटा की सख्सियत को शब्दों के सार में संजोया ही नहीं जा सकता, इसको अपने जीवन में एक प्रेरणा के रूप में रचाने, बसाने और अपनाने की त्वरित आवश्यकता हैं तभी एक सक्षम और निःस्वार्थ राष्ट्र का निर्माण सम्भव है.

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