द मिडिया टाईम्स डेस्क
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 की गूंज पूरे राज्य में सुनाई देने लगी है, और राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस चुनाव में मुख्य मुकाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले विपक्ष के बीच होगा। सवाल यह है कि क्या सोरेन सरकार अपने पिछले कार्यकाल में किए गए विकास कार्यों के आधार पर फिर से सत्ता में लौटेगी, या मोदी सरकार की देशव्यापी लोकप्रियता झारखंड में भी अपना असर दिखाएगी?
सोरेन सरकार के कार्यकाल की प्रमुख बातें
हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड सरकार ने राज्य में आदिवासी अधिकारों, बेरोजगारी, और विकास परियोजनाओं पर फोकस किया है। उनके द्वारा राज्य में कई योजनाओं को लागू किया गया है, जैसे “मुख्यमंत्री श्रमिक योजना” और “कृषि मित्र योजना”, जो राज्य के आदिवासी समुदाय और ग्रामीण इलाकों को लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं। इसके अलावा, सोरेन सरकार ने झारखंड के प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, जो राज्य के आर्थिक विकास में सहायक साबित हो रहे हैं।
भा.ज.पा. का ‘मोदी मैजिक’ और झारखंड में उसका असर
वहीं दूसरी तरफ, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी केंद्रीय योजनाओं को झारखंड में मजबूत करने के लिए प्रचारित किया है। पार्टी का दावा है कि मोदी सरकार ने राज्य में कई विकास योजनाओं को लागू किया है, जिसमें सड़क, बिजली और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार शामिल हैं। भाजपा ने अपनी चुनावी रणनीति में मोदी के विकास कार्यों को प्रमुख मुद्दा बनाया है, और उम्मीद जताई है कि राज्य के लोग “मोदी मैजिक” के असर में आकर भाजपा को जीत दिलाएंगे।
वोटर्स की मानसिकता और मतदाता समीकरण
झारखंड में आदिवासी और पिछड़ी जातियों की बड़ी जनसंख्या है, जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाती है। आदिवासी मुद्दों पर केंद्रित झामुमो और कांग्रेस का गठबंधन इन वर्गों में अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश करेगा। वहीं भाजपा आदिवासी और सामान्य वर्ग के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए केंद्र सरकार की योजनाओं का सहारा लेगी, जो राज्य में क़ानून-व्यवस्था, रोजगार और विकास को प्राथमिकता देती हैं।
वहीं विपक्षी दलों का आरोप है कि राज्य में बेरोजगारी और महंगाई में वृद्धि हो रही है, और राज्य सरकार इन मुद्दों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पा रही है।
चुनावी भविष्य
अंततः यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी झारखंड के विकास मॉडल पर भरोसा कर फिर से सत्ता में लौट पाएंगे, या भाजपा के राष्ट्रीय प्रभाव और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता राज्य चुनावों में अपना असर छोड़ने में सफल होगी। चुनाव के नतीजे राज्य की राजनीति के भविष्य को आकार देंगे और यह निर्णय आगामी महीनों में झारखंड के मतदाताओं के हाथों में होगा।