हिन्दू राष्ट्र भारत

द मीडिया टाइम्स  – मोहित श्रीवास्तव 

डेस्क: पचास से अधिक “मुस्लिम देश”, पचास से अधिक “ईसाई देश”। “यहूदी, बौद्ध” इत्यादि का भी आधिकारिक देश है। लेकिन, जनसंख्या के आधार पर संसार के तीसरे सबसे बड़े धर्म, “हिन्दू” का कोई भी आधिकारिक देश नहीं है। एक “नेपाल” था वो भी “नास्तिकों/चीन” ने समाप्त कर दिया।

लगभग “८०० करोड़” के जनसंख्या वाले इस दुनिया में, २०० करोड़ के आस-पास ईसाई हैं और १८० करोड़ के पास मुस्लिम। नास्तिकों की संख्या, १२५ करोड़ तक है। हिन्दू और बौद्ध, क्रमशः १०० करोड़ और ८०करोड़ के आसपास हैं। जनसंख्या के आधार पर, बाकी धर्म, इसके बाद आते हैं।

अब बात करते हैं आगे की और चलते हैं पीछे की ओर। अगर, “युग” की बात करें तो हमारे पास “सत्ययुग, त्रेतायुग द्वापरयुग एवं कलियुग” के रूप में चार युग हैं और इन चारों युग के समावेश को महायुग कहा जाता है। सत्ययुग से शुरू होते हुए, युग, कलियुग तक जाता है और फिर सत्ययुग की वापसी होती है और यही “विधि का विधान” है। अभी, हमलोग “कलियुग” में हैं। सत्ययुग से लेकर द्वापरयुग तक “धर्म” का अर्थ, “कर्तव्य” हुआ करता था लेकिन, द्वापर के अंत और कलियुग के शुरुआत से, धर्म, “रीलिजन” अर्थात जीवन जीने के अलग-अलग पद्धति में बदल गया। और फिर, “हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई” का अस्तित्व आया।

“सनातन”, जो, सत्ययुग से द्वापरयुग तक, एकमात्र, जीवन जीने का आधार हुआ करता था – वो अब भिन्न-भिन्न अंगों में बंट चुका है। उदाहरण के रूप में देखें तो, सनातन का एक “संयुक्त परिवार” मान लेते हैं। एक बार, संयुक्त परिवार के बहुत लोगों में, स्वार्थ का भावना जगता है और ये लोग मनमुटाव कर, अलग-अलग होना चाहते हैं। और फिर “परिवार, टूट जाता” है और अलग-अलग परिवार बन जाता है। कोई यहूदी बनता है तो बाद में चलकर ईसाई धर्म का स्थापना होता है। फिर मुसलमानों का अस्तित्व आता है और फिर और अलग-अलग धर्मों का स्थापना होता है। लेकिन जो सनातन का घर छोड़कर नहीं जाते और इसी घर में रहते हैं, वो हिन्दू कहलाते हैं। हिन्दू भी आगे चलकर, सिख-जैन-बौद्ध इत्यादि धर्म में टूटता है।

अब निष्कर्ष की ओर आते हुए, मैं यही लिखूंगा की धर्म के आधार पर देशों का “पहचान या बंटवारा नहीं” होना चाहिए लेकिन जब बहुत सारे धर्म, अपने धार्मिक पहचान पर देश चला रहे हैं तो, सभी धर्मों का, आधिकारिक रूप से कोई-न-कोई देश होना चाहिए। भारत को आधिकारिक रूप से “हिन्दू राष्ट्र” बनना चाहिए

सनातन ब्रह्माण्ड • हिन्दू राष्ट्र भारत

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