राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक रोडमैप तो तैयार हुआ पर राहुल के सामने अवसर से ज्यादा चुनौतियां हैं।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा समाप्त हो गई है। पार्टी को यह भरोसा है कि इस यात्रा का लाभ कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव में मिलेगा पर राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो राहुल गांधी के सामने अभी कई चुनौतियां हैं।

सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस पार्टी के अंदर से ही कई चुनौतियां सामने आ रही हैं। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने पंजाब में भारत जोड़ो यात्रा के मंच से यह कहा था कि राहुल गांधी फिर से प्रॉक्सी ना बने अगर उन्हें पीएम बनने का मौका मिल जाए। हालांकि संदेश पर राहुल गांधी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसी पीएम उम्मीदवार का दूसरा पहलू यह है कि कई बड़े चेहरों ने इस मुद्दे पर तटस्थ रहना पसंद किया।

सच्चाई तो यह है कि राहुल गांधी के पीएम दावेदारी का किसी ने खुलकर स्वागत नहीं किया। इस लिस्ट में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ,सपा प्रमुख अखिलेश यादव, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल जैसे कई नेता शामिल हैं।

हजारों किलोमीटर की भारत जोड़ो यात्रा पूरी करने वाले राहुल गांधी के सामने कई चुनौतियां हैं, यह चुनौतियां सिर्फ उनकी सियासी पारी पर असर नहीं डालने वाली है बल्कि देश की सबसे पुरानी पार्टी पर भी इसका असर दिखेगा।

इस समय पीएम उम्मीदवारी राजस्थान में जारी सियासत उथल-पुथल जैसे कई मुद्दे राहुल गांधी को परेशान कर सकते हैं।

इसके अलावा अगर राजनीतिक विश्लेषण देखा जाए तो वर्तमान स्थिति में चुनावी सर्वे कांग्रेस नेता राहुल गांधी का ज्यादा उत्साह नहीं बढ़ाते हैं। आज तक के एक सर्वे मूड “ऑफ द नेशन” से यह निष्कर्ष निकला कि अगर आज चुनाव होंगे तो कांग्रेस को 68 सीट से ज्यादा हासिल नहीं होगा। अगर राहुल गांधी निर्णायक भूमिका में आना चाहेंगे तो 68 से दोगुनी सीटें पार्टी को जीतनी होगी और बीजेपी को 272 के जादुई आंकड़े से दूर रखना होगा। अभी के लिए भारत छोड़ो यात्रा ने इतना जरूर कर दिया है कि कांग्रेस के अंदर राहुल गांधी को लेकर विश्वास बढ़ा है।

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