द मिडिया टाईम्स डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस और पाली को शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता दिए जाने के समारोह में शामिल हुए। यह दिन वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है और बौद्ध धर्म की गहरी जड़ों और इसकी नैतिक शिक्षाओं का जश्न मनाता है।
अभिधम्म दिवस का महत्व केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह मानवता के लिए एक नैतिक और मानसिक अनुशासन का मार्गदर्शन भी करता है। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने बौद्ध धर्म और भारत के बीच के स्थायी बंधन को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि बुद्ध की शिक्षाएँ न केवल आध्यात्मिक साधकों के लिए, बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, जो सचेतनता और आंतरिक शांति की खोज में हैं।
इस समारोह ने भारत की अनूठी भूमिका को भी उजागर किया, जो बौद्ध धर्म की विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि कैसे प्राचीन ज्ञान और समकालीन आध्यात्मिक प्रथाएँ एक दूसरे के साथ जुड़ती हैं, और हमें एक बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के इस कार्यक्रम में शामिल होने से यह स्पष्ट होता है कि भारत बौद्ध धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बनाए रखेगा और इसे वैश्विक मंच पर बढ़ावा देने के लिए तत्पर है। इस प्रकार, अंतर्राष्ट्रीय अभिधम्म दिवस न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी है।