बाल विवाह पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ आज इस मामले में फैसला सुनाएंगे

द मिडिया टाईम्स डेस्क 

सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह के मामले में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह याचिका देश में बढ़ते बाल विवाह के मामलों और संबंधित कानून के सही क्रियान्वयन में कमी को लेकर थी। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ आज इस मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाएंगे।

बाल विवाह को रोकने के लिए सबसे पहले 1929 में शारदा एक्ट बनाया गया था। इसके बाद 1949, 1978 और 2006 में इस कानून में संशोधन किए गए। वर्तमान में बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 लागू है, जिसके तहत बाल विवाह करना या करवाना एक संज्ञेय और गैर-ज़मानती अपराध है।

इस अधिनियम के अनुसार, जो माता-पिता अपने बच्चों का बाल विवाह कराते हैं, उन्हें दो साल तक की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति कम उम्र में शादी कर लेता है, तो वह वयस्क होने के दो साल के अंदर विवाह निरस्तीकरण के लिए आवेदन कर सकता है।

बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो न केवल बच्चों के भविष्य को प्रभावित करती है, बल्कि समाज के विकास में भी बाधा डालती है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। हम सभी को मिलकर इस समस्या के खिलाफ आवाज उठानी होगी और बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलानी होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *