अरुणाचल प्रदेश, एक ऐसी भूमि है जो अपनी संस्कृति, प्राकृतिक सौंदर्य और विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की स्थानीय जनजातियाँ और उनके अद्वितीय रीति-रिवाज इस राज्य की पहचान बन चुके हैं। इस राज्य की एक विशेषता यह है कि यहाँ के लोग अपनी परंपराओं और संस्कृति को अत्यधिक सम्मान देते हैं। हाल ही में, इस राज्य में एक ऐतिहासिक घटना घटी, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कामले जिले के बोसिमला में आयोजित संयुक्त मेगा न्योकुम युल्लो समारोह में भाग लिया। इस समारोह में, उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली न्यिशी समुदाय की पहली महिला, कबाक यानो को सम्मानित किया।
कबाक यानो ने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करके केवल अपने समुदाय का ही नहीं, बल्कि पूरे अरुणाचल प्रदेश का नाम रोशन किया है। उनका यह साहसिक कार्य महिलाओं की शक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बन गया है। माउंट एवरेस्ट जैसी दुनिया की सबसे ऊँची चोटी पर चढ़ाई करना कोई सामान्य बात नहीं है, और कबाक यानो ने इसे करके अपने समुदाय और राज्य को गर्व महसूस कराया।
समारोह में उपराष्ट्रपति ने कबाक यानो के साहस और परिश्रम की सराहना करते हुए कहा कि यह उनकी मेहनत और समर्पण का परिणाम है कि उन्होंने एवरेस्ट जैसी चुनौतीपूर्ण चोटी पर चढ़ाई की। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि यह कार्य न केवल एक महिला की व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने कबाक यानो के संघर्ष और सफलता को महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बताते हुए उनके इस प्रयास को सम्मानित किया।
समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। इस समारोह का आयोजन बोसिमला में पहली बार संयुक्त मेगा न्योकुम युल्लो समारोह के रूप में किया गया था। यह एक पारंपरिक उत्सव है, जिसमें स्थानीय जनजातियाँ अपनी संस्कृति और परंपराओं का जश्न मनाती हैं। इस अवसर पर उन्होंने क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर, जीवनशैली और पारंपरिक खेलों की भी सराहना की। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में एकजुटता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिलता है।
अरुणाचल प्रदेश के लोग अपनी संस्कृति, रीति-रिवाज और परंपराओं में अत्यधिक गर्व महसूस करते हैं। यहां के निवासी अपने क्षेत्रीय इतिहास और सांस्कृतिक धरोहरों को संजोने में विश्वास रखते हैं। इस राज्य की जनजातियाँ, जिनमें न्यिशी, अपतानी, मिआओ, और आदि जैसे समुदाय शामिल हैं, हर एक अपनी विशिष्ट पहचान और रीति-रिवाजों के लिए जाने जाते हैं। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर भी जोर दिया कि हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखना चाहिए और इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाना चाहिए।
इस समारोह का आयोजन न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव था, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी था कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में अपनी पहचान बना सकती हैं और उच्चतम शिखरों तक पहुँच सकती हैं। कबाक यानो का उदाहरण इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि यदि महिलाओं को सही अवसर और समर्थन मिलता है, तो वे किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं और सफलता प्राप्त कर सकती हैं।
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