प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का उद्घाटन किया और ऐतिहासिक राजदंड ‘सेंगोल’ को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के समीप स्थापित किया।

नए संसद भवन में रखा जाने वाले सेंगोल की कहानी वास्तव में भारत की आजादी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से जु़ड़ी हुई है। वर्ष 1947 में जब भारत को आजादी दी जा रही थी जो उस समय ब्रिटेन द्वारा भारतीय नेताओं को सत्ता के हस्तांतरण के रुप में एक राजदंड (Sengol) तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू को दिया गया। यह चोल वंश के समय का माना जाता है। बाद में इसे प्रयागराज म्यूजियम में रख दिया गया। अब पीएम मोदी ने इसे एक बार फिर संसद में स्पीकर की बेंच के पास स्थापित करने का निर्णय किया है।

गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को खास जानकारी दी। उन्होंने कहा कि स्पीकर की कुर्सी के पास राजदंड सेंगोल को रखा जाएगा। सेंगोल को म्यूजियम में रखना ठीक नहीं है। सेंगोल का ना सिर्फ देश की आजादी से खास रिश्ता है, बल्कि इसका रिश्ता चोल साम्राज्य से रहा है। चोल साम्राज्य 100 एडी से लेकर 250 एडी और बाद में 700 एडी से लेकर 950 एडी तक दक्षिण भारत के एक बड़े हिस्से पर राज किया। राजेंद्र चोल और राजराज चोल मशहूर शासक रहे हैं। चोल साम्राज्य(Sengol Chola dynasty) में परंपरा रही है कि जब सत्ता का हस्तांतरण होता था संगोल उत्तराधिकारी को दिया जाता और इस तरह से सत्ता हस्तांरण की प्रक्रिया को पूर्ण होती थी।

यह सेंगोल हमें याद दिलाता रहेगा कि हमें कर्तव्य पथ पर चलना है और जनता के प्रति जवाबदेह रहना है।

नए संसद भवन के उद्घाटन की पूर्व संध्या पर शनिवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को अधीम (पुजारियों) ने पवित्र राजदंड, सेनगोल सौंप दिया। अधिनाम ने पीएम मोदी को एक विशेष उपहार भी भेंट किया। पीएम मोदी ने अपने आवास पर आज राष्ट्रीय राजधानी के लिए उड़ान भरने वाले अधीमों से मुलाकात की। प्रधानमंत्री ने भी उनका आशीर्वाद मांगा।

इससे पहले दिन में, धर्मपुरम और तिरुवदुथुरै के अधिनम राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे। रविवार को नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद भवन में ऐतिहासिक और पवित्र सेंगोल की स्थापना करेंगे। उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए 21 अधीम पहले चेन्नई से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। धर्मपुरम अधीनम , पलानी अधीनम, विरुधचलम अधीनम, और थिरुकोयिलुर अधीनम उन अधीमों में शामिल थे, जो समारोह में भाग लेने के लिए चेन्नई से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे।

यह पूरी तरह से प्राचीन भारत के गौरव को दिखाता है। इसके शीर्ष पर भगवान शिव के वाहन नंदी को बनाया गया है जो न्याय और कर्म को दर्शाता है। नंदी से कुछ नीचे की ओर दो झंडे बनाए गए हैं। इस प्रकार यह भारत की महान विरासत का अद्भुत प्रतीक है जो भारत की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और इच्छाशक्ति को दिखाता है।

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