आज की युवा पीढी पर सोशल मीडिया का सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव

कुमारी रंजना प्रधान संपादक द मीडिया टाइम्स.

देश में सोशल मीडिया की लहर युवाओं पर इस कदर हावी है की कुछ युवाओं ने अपने सुसाइड को भी सोशल मीडिया पर लाईव प्रसारित कर दिया और देश और दुनिया को

अपने नकरात्मक चरित्र और संघर्ष से हार जाने वाले वक्तितव् का परिचय दिया.

सच के आईने में अगर देखें तो सोशल मीडिया एक ऐसा मीडिया है जो बाकी सारे मीडिया (प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और समानंतर) मीडिया से अलग है. सोशल मीडिया इंटरनेट के माध्यम से एक वर्चुअल वर्ल्ड बनाता है जिसे उपयोग करने वाला वयक्ति सोशल मिडिया के किसी प्लेटफॉर्म (फेस बुक,ट्विटर, इंस्टाग्राम आदि का उपयोग कर अपनी पहुँच बना सकता है लेकिन अगर दुरुउपयोग करता है तो न केवल अपना सर्वनाश करता है बल्कि समाज के लिए एक घातक बीमारी बनकर पुरे समाज को ग्रसित कर देता है.

सोशल मीडिया का गलत तरीके से उपयोग कर ऐसे लोग दुर्भवनाएँ फैला कर लोगों को बांटने की कोशिश करते हैं.सोशल मिडिया के माध्यम से भ्रामक और नकरात्मक जानकरी साझा की जाती है जिससे की जनमानस पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

कई बार तो बात इतनी बढ़ जाती है कि सरकार सोशल मिडिया के गलत इस्तेमाल करने पर सख्त हो जाती है और हमने देखा की जम्मु कश्मीर जैसे राज्य में सोशल मिडिया पर प्रतिबंध तक लगाना पड़ता है। जब महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसान आंदोलन हुआ तो सोशल मिडिया पर प्रतिबंध लगाना अनिवार्य हो गया ताकि असमाजिक तत्व आंदोलन की आर में किसी बड़ी घटना को अंजाम न दे दें.

अगर सोशल मीडिया का सकरात्मक उपयोग करें तो सबसे पहले सोशल मिडिया आत्म अभिव्यक्ति और रचनात्मकता के लिए एक मंच प्रदान करता है. सच तो यह है की आज के डिजिटल युग में सोशल मिडिया युवाओं के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है जिसमें रहन सहन, खान- पान, भेष भूसा और बोल च चाल सभी शामिल हैं.

एक आंकड़े के मुताबिक भारत में 2019 तक 574 मिलियन सक्रिय इंटरनेट उपयोग कर्ता थे और 2020 में यह 639 मीलियन हो गया.

अगर सोशल मीडिया का नकरात्म प्रयोग युवा करते हैं तो युवाओं में अवसाद के कई लक्षण दिखने की संभावना बढ़ जाती है उनके भावनात्मक समर्थन में कमी आ जाती है.उनमें FOMO विकसित होता है और आत्म विश्वास कम होता है.

सार यह है कि वैसे तो सोशल मिडिया ज्ञान स्तर पर संचार सविधाओं का लोकतंत्रिकरण करता है लेकिन अगर इसका नकरात्म उपयोग किया जाता है तो इसके दुषपरिणाम युवाओं के लिए दूरगामी होंगे.

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