शैली ओबरॉय बनी एमसीडी की मेयर लेकिन एमसीडी सिविक सेंटर बना जंग का मैदान।

एमसीडी दिल्ली के चुनाव में उस समय अप्रत्याशित और गंदा नजारा देखने को मिला जब दिल्ली के राज्यपाल वीके सक्सेना द्वारा 10 एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर आप और बीजेपी पार्षद आपस में भिड़ गए और सिविक सेंटर बना जंग का मैदान।

वैसे तो बैठक की शुरुआत भाजपा पार्षद सत्य शर्मा को दिल्ली नगर निगम के मेयर और डिप्टी मेयर के पदों के चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी के रूप में शपथ दिलाने के साथ हुई।

सच तो यह है कि एमसीडी का सत्र एक अनिश्चित स्थिति में शुरू हुआ और आप और भाजपा पार्षदों ने आपस में हाथापाई, थप्पड़ ,जूता चप्पल सभी का प्रयोग करते हुए एमसीडी में भद्दा सीन प्रस्तुत किया।

आप ने आरोप लगाया कि सक्सेना ने भाजपा नेताओं को एल्डरमैन के रूप में नियुक्त किया है जो नागरिक मुद्दों के विशेषज्ञ नहीं हैं। आप विधायक और पार्षदों ने विरोध करना शुरू कर दिया और कई लोग नारेबाजी करते हुए सदन में मारपीट शुरू कर दी।

भाजपा नेताओं ने आप पर हमला बोलते हुए कई आरोप लगाए जबकि आप सदस्यों ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी कर इस हमले का जवाब दिया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सक्सेना को लिखे पत्र में इस मुद्दे पर अपना विरोध दर्ज करवाया।

एमसीडी सिविक सेंटर में 250 निर्वाचित पार्षद शामिल हैं। दिल्ली के भाजपा के साथ लोकसभा सांसद और तीन राज्यसभा सांसद और दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष द्वारा मनोनीत मेयर चुनाव में भाग लिए। स्थाई समिति के 6 सदस्य भी चुने जाएंगे। 9 पार्षदों वाली कांग्रेस ने मतदान में हिस्सा नहीं लेने का फैसला लिया।

अब सिविक सेंटर के बाहर पुलिस को तैनात किया गया है। भाजपा सांसद ने कहा सारा हंगामा आप नेताओं ने शुरू किया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वह नियमों से अनजान हैं। जब वह बहुमत में है तो डरने की क्या बात है।

इसका जवाब देते हुए आप के नेताओं ने कहा कि बीजेपी गुंडागर्दी कर रही है ।एमसीडी कल सुबह 10:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया है कर दिया गया है।

आप की शैली ओबरॉय ने भाजपा की रेखा गुप्ता को 34 वोट से हराते हुए एमसीडी की मेहर पद का चुनाव जीती। ओबरॉय को 150 वोट मिले और गुप्ता को 116 वोट मिले। कुल मिलाकर 266 वोट चुनाव में हासिल हुए।

सिविक सेंटर से लुप्त हुआ सिविक सेंस, माइक तोड़े गए, टेबल तोड़े गए ,इन पार्षदों ने जो भद्दा दृश्य देश के सामने प्रस्तुत किया है वह किसी भी दृष्टि से प्रजातांत्रिक व्यवस्था में अनुकरणीय नहीं है।

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