द मीडिया टाइम्स डेस्क
दिल्ली: बांग्लादेश विवाद और शेख हसीना पर सीनियर कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर का बयान आया है. शेख हसीना को लेकर मणिशंकर अय्यर ने कहा कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को शरण देकर भारत ने अपनी सांस्कृतिक परंपरा का निर्वाह किया है, लेकिन उनकी खातिर बांग्लादेश की नई सरकार से हमें अपने रिश्ते भी नहीं बिगाड़ने चाहिए.मणिशंकर अय्यर ने कहा, ‘मुझे खुशी है कि हिंदुस्तान ने उनका स्वागत किया है, और यह भी इशारा किया है कि जब तक कि वह खुद तय करती हैं कि वह कहां जाकर बसना चाहती हैं, तब तक उनका भारतवर्ष में स्वागत है.’आईएएनएस से बातचीत में मणिशंकर अय्यर ने कहा कि बांग्लादेश के प्रधानमंत्रियों में से हमारे देश के लिए सबसे बेहतरीन शेख हसीना ही रही हैं. उन्होंने कहा, ‘उनकी सोच बिल्कुल सेकुलर है. उन्होंने अपने देश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के बचाव के लिए, उनकी प्रगति के लिए, उनको बड़े समाज में शामिल करने के लिए बहुत कुछ किया है|
कांग्रेस नेता ने कहा – जो काबिल-ए-तारीफ है
‘लेकिन जो नई सरकार आ रही है बांग्लादेश में, हमें यह मानना चाहिए कि यह तय करना बांग्लादेश का हक है कि कौन सरकार चलाएगा. और जो भी आए उनके साथ अच्छे संबंध कायम करना हमारा फर्ज बनता है. ऐसा न हो कि हसीना की खातिर हम अपने रिश्ते बांग्लादेश के साथ बिगाड़ें.’उन्होंने कहा कि शेख हसीना भारत की बहुत करीब की मित्र रही हैं, और आज उनके मुश्किल समय में भारत ने उन्हें शरण दी है. भारत हमेशा से शरण देता आया है. उन्होंने कहा, ‘हमारी विरासत में यह है कि हमारे दोस्त जब दिक्कत में पड़ जाते हैं तो उनको भरोसा होना चाहिए कि उनको यहां भारत में शरण मिलेगी.’ उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश में नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुआ छात्रों का प्रदर्शन उग्र रूप ले चुका है. छात्रों का प्रदर्शन हिंसक हो गया. हालात ऐसे हो गये कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को सोमवार को इस्तीफा देकर देश छोड़ना पड़ा. वह इस समय भारत में हैं. राष्ट्रपति ने संसद भंग कर दी है. गुरुवार रात वहां नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का शपथ ग्रहण होना है. मणिशंकर अय्यर ने कहा कि खबरें आ रही हैं कि बांग्लादेश के घटनाक्रम के पीछे शायद पाकिस्तान और अमेरिका का दखल रहा हो, लेकिन अब तक कोई पक्के सबूत नहीं हैं. भारत के दूसरे पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ वार्ता के बारे में उन्होंने ने कहा कि हमारे देश के अल्पसंख्यकों के लिए उसके साथ वार्ता जरूरी है. दुनिया में ऐसा लगना चाहिए कि जो देश विश्व गुरु बनना चाहता है वह अपने ही पड़ोस में जो उनके दुश्मन हैं, उनके साथ वार्तालाप करके मसलों का हल निकालने का प्रयास तो कर रहा है.